अस्पतालों व घरों में कन्या भूण की हत्या, कोई पुरूष नहीं बल्कि महिला चिकित्सक या दाई ही करती है। कहना ग़लत ना होगा कि जब तक लड़कियाँ पढ़ लिखकर जागरुक नहीं होगीं, तब तक सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओं का प्रयोग नहीं कर पाएगीं और न ही बनाए गए कानूनों को अपने हित में प्रयोग कर पाएगीं। प्रदेश के ही कुछ हिस्सों में अशिक्षा की वजह से महिलाएं लगातार घरेलू हिंसा की शिकार हो रही हैं, टोनही के नाम पर प्रताडित की जा रही हैं और तमाम कानून बने होने के बावजूद उनका कोई लाभ नहीं ले पा रही हैं। सवाल यह भी उठता है कि क्या केवल कानून बना देने भर से हमारी ज़िम्मेदारी ख़त्म हो जाती है ?
धारावाहिक की इस कड़ी में पूरा गांव एक औरत को टोनही के नाम पर गांव से बाहर निकालने को आतुर है। उसे मारते हैं, उसके रिश्तेदार उस पर तरह-तरह के ज़ुल्मों-सितम ढ़ाते हैं, यहां तक कि उसका जीना हराम कर देते हैं। एक ऐसी महिला जिसका एक सुन्दर सा पति है, जो उसे बहुत प्यार करता है लेकिन अचानक वक़्त ने करवट ली और उस औरत की हंसती खेलती ज़िन्दगी एक कोढ़ बन गयी। जिस देश में औरत को देवी कहकर पूजा जाता है उसी देश में उसे टोनही का नाम देकर कलंकित किया जाता है। ऐसे में कहां से मिलेगा एक औरत को सम्मान का दर्जा ? कैसे जिएगी वो एक इज्ज़त की ज़िन्दगी ? कुछ ऐसे ही प्रश्नों को उठाती है तेज़ी से लोगों की चहेती बनती जा रही ‘तेजस्विनी’ ।