Tuesday, May 04, 2010

पोल खोल


आजकल आए दिन ख़बरें सुनने को मिलती हैं कि फलां जगह फलां महात्मा, साधु, संत या फ़कीर यह करते पकडा गया, सेक्स कांड का खुलासा, इतनी संपत्ति और इतने घोटालों में सांठ-ग़ांठ। आखिर देश की भोली भाली जनता की भावनाओं से खिलवाड करने वाले ऐसे लोगों को कैसे समाज से खदेडा जाए। क्या कानूनी प्रक्रिया के तहत धीरे-धीरे इसे रोका जा सकता है या फिर ज़रूरत है एक सामाजिक बदलाव की। या फिर इस सबसे बढकर अपनी मासूम जनता को जागरुक करने की जो 21 वीं सदी में पहुंचने के बावजूद अंधविश्वास के मायाजाल में फंस जाती है और तरह तरह के तिकडमी हथकंडे अपनाने लगती है। केवल इस उम्मीद में कि इसके बाद उनकी ज़िंदगी में सबकुछ ठीक हो जाएगा।

केवल कहने से काम नहीं चलेगा यह भी बताना होगा कि एक आम इंसान इसके लिए कैसे योगदान दे सकता है। योगदान बडा
हो या छोटा, सवाल हर इंसान को जोडने का है ताकि इस बुराई को जड से दूर हटाने का प्रयास तो किया जा सके।


कृपया बताएं आप इस बारे में क्या सोचते हैं ?

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