Ravindra Goyal
छूना है आकाश . . .
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Sunday, May 02, 2010
ज़िम्मेदार कौन . . . ?
ये बसों और ट्रकों के हार्न
ये लाउड स्पीकर का शोर
ये रिश्तों की खटपट
मशीनों का शोर
जल में घुलता ये ज़हर
सांसों में समाता ये ज़हर
कानों को चीरता ये शोर
तबाही का इंतज़ार न करें
स्वच्छ वातावरण की ज़िम्मेदारी
हम सब की है
1 comment:
संजय भास्कर
said...
बहुत से गहरे एहसास लिए है आपकी रचना ...
5/20/2010 01:08:00 PM
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बहुत से गहरे एहसास लिए है आपकी रचना ...
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