एक भी फिल्म ऐसी नहीं बनी जो घटिया न हो। घटिया शब्द पर जोर दे रहा हूं। विस्तार से कई बार कई मौको पर लिख चुका हूं मगर नकलचोर सुधरने से रहे। अभी भी कई दर्जन फिल्में फ्लोर पर है और सारी की सारी मुबंई की अधकचरी कहानियों पर बन रही है। रायपुर में चार-छह ऐसे लोग है जो फिल्म बनाने वालों को कहानी चुरा-चुराकर बेचते हैं। उनकी दुकान अच्छी चल रही है।
3 comments:
एक भी फिल्म ऐसी नहीं बनी जो घटिया न हो। घटिया शब्द पर जोर दे रहा हूं। विस्तार से कई बार कई मौको पर लिख चुका हूं मगर नकलचोर सुधरने से रहे। अभी भी कई दर्जन फिल्में फ्लोर पर है और सारी की सारी मुबंई की अधकचरी कहानियों पर बन रही है। रायपुर में चार-छह ऐसे लोग है जो फिल्म बनाने वालों को कहानी चुरा-चुराकर बेचते हैं। उनकी दुकान अच्छी चल रही है।
आप ही बतला देते!
pahli baat to yahi kahunga ki chhattisgarhi filmo me chhattisgarh ki sanskruti 1% hi nazar aati hai baki vahi mumbaiya latke-jhatke....
baki aap kahenge to fursat me lamba likh dunga
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