Sunday, April 25, 2010
रंग
जिंदगी है एक कैनवास
सपने हैं रंग
ख्वाहिशों की ऊंचाईयां
हक़ीकत की जंग
बहुत हंसी है हर पल
क्योंकि तुम हो मेरे संग
तुम सांसों में, तुम धड़कन में
तुम आंखों में, तुम ही मन में
तुम सुबह में, तुम शामों में
तुम बातों मे, तुम रातों में
तुम ही तो हो जज्बातों में,
तुम गीत हो, संगीत हो
हर तूफां में, हर मुश्किल में
तुम ही तो मेरी जीत हो
तुम हवा हो, तुम पानी हो
सच्चे शायर की ग़ज़ल हो जैसे
तुम हर पल नई कहानी हो
जमुना तट पर बजती बंसी
मंदिर में बजती घंटी हो
कोई भी लट्टू हो जाए
जब मंद-मंद तुम हंसती हो
माशूका ऐसी सब चाहें
जिसमें इतनी सब ख़ूबी हो
मैं खुशनसीब, तुम मेरी हो
मेरी जानम, मेरी बीवी हो
पर याद रहे इन रिश्तों में भी
पहचान नहीं अपनी खोना
तुम मुझसे हो, तो तुमसे मैं हूँ
तुझसे ही है मेरा होना
जीवन जीने की आपाधापी में
ना ख़ुद को तुम खोने देना
हम सबको साबित करना है
अपना-अपना मानव होना
हम साथ हैं, कुछ कर पाऐंगे
हर मुश्किल से लड़ जाऐंगे
मशहूर हुए लोगों में एक दिन
अपनी भी जगह बनाऐंगे
जब मैं हूंगा साठ बरस का
और तुम होगी तिरपन की
एक दूजे में खो जाऐंगे
बातें करते बचपन की
छोड़ो-छोड़ो इतनी लंबी
बातें करें आजकल की
काम बहुत है, चिंता लग गयी
फिर महिने के वेतन की
इसलिए छोड़ बातें बेकार की,
बोलो हाथी घोड़ा पालकी, जै कन्हैया लाल की।
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