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Tuesday, July 05, 2011

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Posted by रवीन्द्र गोयल at 7/05/2011 09:16:00 PM No comments:
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रवीन्द्र गोयल
Delhi, India
बडे-बडे लोगों की डायरी और जीवनी पढी थी, उनके बारे में लेख तो अक्सर पढते ही रहते हैं। सोचा था कुछ बन जाऊंगा तो अपने बारे में कुछ लिखूंगा। लिखने की बहुत कोशिश की लेकिन लिख नहीं पाया इसलिए अब कुछ बनने की कोशिश कर रहा हूं। कई बार बनने का प्रयास किया तो गच्चा खा गया। भीतर से आवाज़ आई "बहुत बनने की कोसिस कर रहे हो भईया,पहले तनिक इंसान तो बन लो". तब से वही बनने की जुगत में हैं ... फिर सोचा जुगत से नहीं चलेगा, ज़िंदगी सुकून से जीना है तो पूरा इंसान बनना पडेगा
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