Thursday, April 29, 2010

परी कथा



परियों के देश की वो कहानी भी ख़ूब थी
जिसमें थी एक परी, नाज़ों-नखरे में पली
हाथ में जादू की छड़ी, बदलने दुनिया को चली
पर क्या जादू सच्चा होता है
ऐसा सपना क्या हक़ीकत होता है। नहीं ना !
पर मैने देखी है एक परी
जो इस दुनिया की हक़ीकत में है पली
फिर भी रहती है खिली-खिली
अपनी हंसी से हर तरफ़ बिखराती
हर पल खुशी है वो मनचली
जो हंसती है, खिलखिलाती है
मुस्कुराती, इठलाती
और रूठ भी जाती है
लेकिन झट से मान भी जाती है
सभी के दिल में उमगें जगाती है
जीने का सही अहसास दिलाती है
वो ख़ुशबू है, वो तितली है
वो बारिश है, वो बिजली है
वो सांस है, वो विचार है
वो जीवन का संचार है
रिश्ता सिर्फ बनाती नहीं, वो निभाती है
सबमें विश्वास जगाती है
जो नये उत्साह, नई उमंग
ऊर्जा और रंगों की केन्द्र है
जिसके स्वामी गजेन्द्र है
विनम्रता और मधु स्वभाव से
जिसने दिलों को जीता है
प्यार से सभी घर वाले
कहते उसे स्मिता हैं।
हम जैसो को कौन पूछता
भला ऐसे भी कोई जीता है
इसलिए मस्त रहो, पकोड़े खाओ और चाय पीओ
क्योंकि चीता भी पीता है।

2 comments:

JB COMMUNICATION AND ADVERTISING said...

धन्यवाद, मैं ज़रूर कोशिश करूंगा।

Rahul Singh said...

'छोटी सी बात न मिर्च मसाला' सहज और सुंदर