Tuesday, April 27, 2010

फुलकारी



हर वक्त मुनासिब होता है
मंज़र मनमाफ़िक होता है
बढ़ने वाले कब रुकते हैं
मुश्किल जीवन का सौदा है
सुख पल दो पल का धोखा है
जो उठता है और लडता है
ये वक्त उसी का होता है
लक्ष्य वही हासिल करता है
जो पहला कदम बढ़ता है
डरपोक किनारे रहता है
तैराक नदी तर जाता है
दिल बाग-बाग हो जाता है
बागों में छाए हरियाली
फूलों को भी पड़ता शर्ममाना
जब हसें हमारी फुलकारी

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